भारतीय मूल के एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि रेड वाइन का सेवन करने वाले इसका सेवन नहीं करने वालों की तुलना में ज्यादा अधिक दिनों तक जीते और अधिक स्वस्थ रहते हैं। एक खबर में कहा गया है कि रेड वाइन में पाया जाने वाला ‘रेसवेराट्राल’ शरीर में सूजन कम करने में मदद करता है। इससे दिल की बीमारियाँ और टाइप टाइप के मधुमेह की चपेट में आने की संभावना कम हो जाती है।
बफेली विश्वविद्यालय के इनडॉक्रीनोलॉजी विभाग के प्रमुख परेश डानडोना के नेतृत्व में किए गए शोध से पता चला है कि रेसवेराट्रोल के सेवन से टाइप टाइप के मधुमेह, बढ़ती उम्र, दिल की बीमारियों और यहां तक दिल के आद्यात के रोकथाम में काफी हद तक मदद मिलती है। डानडोना ने डॉक्टरी की पढ़ाई नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान से की है। डानडोना की टीम ने शोध के दौरान आधे प्रतिभागियों को ‘रेसवेराट्रोल’ युक्त 40 मीलीग्राम प्राकृतिक पूरक की खुराक दी थी, जबकि बाकी के प्रतिभागियों को इस दौरान एक ऐसा दवाई दी गई, जिसमें किसी प्रकार का सक्रिय संघटन नहीं पाया जाता है।
प्रतिभागियों को छह सप्ताह तक एक गोली लेनी थी। इसेक बाद उनके खून के नमूने जमा किए गए। यह काम पहले, तीसरे और छठे सप्ताह में किया गया। जांच से पाया गया कि रेसवेराट्राल के सेवन करने वाले लोगों के शरीर में सृजन कम पाई गई, क्योंकि इसके असर ने इससे जुड़े अणुओं को कमजोर कर दिया था। ‘रेसवेराट्रोल’ के सेवन से प्रतिभागियों के शरीर के खून की नलियों में पाए जाने वाले वे अणु भी कमजोर होते चले गए, जिनके कारण शरीर मे इंसुलिन के बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इंसुलिन का स्तर कम होने कारण ही मधमेह होता है।
badiya jankaari di hain aapne
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