Friday, 30 January 2009

प्यार किया नहीं जाता… हो जाता है!

साइंस ऑफ लव

ऐसा क्या होता है जब एक लम्हें में भूख खत्म हो जाती है, चैन चला जाता है, दिल कहीं लगता नहीं, दिमाग कुछ और सोचता नहीं। क्या कोई गंध होती है जिसे वयक्ति पहचान लेता है या कोई तरंग होती है जो अचानक आपको किसी का दोस्त बना देती है? चाहत ऐसी जो किसी हद तक जाने को मजबूर कर देती है। विज्ञान को इस बात की शरू से ही तलाश रही है कि वह क्या चीज है जो व्यक्ति को हर कुछ कर गुजरने पर मजबूर कर देती है। किसी की खातिर मर-मिटने और सारी परंपराएं-मर्यादाएं तोड़ने को बाध्य कर देती है। आखिर वे क्या कारण है? लोग पीड़ा, जुदाई और बदनामी के बाद भी इश्क की धुन में गुम रहते हैं। इक नज़र में दीवाना बन जाते हैं। यहां तक कि प्रेम के शोध में जुटे वैज्ञानिक भी इसे सही मानते हैं कि प्रेम किसी से भी कहीं भी, कभी भी हो सकता है। ‘द बॉयलॉजी ऑफ लव’ किताब के लेखक डा. जेनव कहते हैं कि मनुष्य एक विचारशील जीव से पहले एक संवेदनशील जीव है, इसलिए प्रेम जैसी भावना की कमी से व्यक्ति के विकास और जीने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उदाहरणस्वरूप जिन बच्चों को बचपन से ही प्यार कम मिलता है उसका दिमाग सामान्य बच्चों से अलग होता है। उनमें तनाव से जुड़े हार्मोन अधिक पाए जाते हैं। इसलिए ऐसे बच्चे अधिक दुःखी रहते हैं। धीरे-धीरे वे आपराधिक प्रवृति की ओर अग्रसर होने लगते हैं। वहीं कुछ लोग प्रेम को जीवन का अमूल्य वरदान मानते हैं और यहां तक कह बैठते हैं कि प्रेम बिन सारा जग सूना। प्रेम के गुत्थी को सुलझाते हुए वैज्ञानिकों ने दिमाग के उस भाग का पता लगाया जो रूमानी प्रेम में सक्रिय होता है। उन्होंने एक दिलचस्प बात बताई कि दिमाग का वह हिस्सा जो प्रेम के समय सक्रिय होता है। वह दिमाग के उस भाग से बिल्कुल अलग होता है जो अक्सर भावनात्मक स्थितियों जैसे गुस्से या आनंद के समय सक्रिय होता है। दरअसल प्यार में दिमाग का वह विशेष हिस्सा सक्रिय होता है, जो नशा सेवन के दौरान अजीब-सी अनुभूति का एहसास कराता है। वह प्यार में किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है। जब किसी को प्यार होता है तो उसके दिमाग में कुछ अलग ही चल रहा होता है और वह सामान्य से कुछ अलग हो जाता है यानी पूरी तरह दीवाना। आमतौर पर प्यार के तीन रूप है... पहला वासना, दूसरा चाहत, तीसरा आसक्ति। वासना और चाहत तो समय के साथ खत्म हो जाते हैं लेकिन यही चाहत आसक्ति में बदल जाए तो फिर यह बंधन जिंदगी भर का हो जाता है। प्यार की एक कहावत माने तो कहा जाता है कि प्यार अंधा होता है। प्यार में पड़े व्यक्ति को अपने सामने वाले व्यक्ति में कोई भी कमी नहीं महसूस होता है।

फैरिस स्टेट यूनिवर्सिटी, मिशिगन के वैज्ञानिक रॉबर्ट फ्रेयर के अनुसार प्यार के पीछे मानव शरीर में उपस्थिति न्यूरोकैमिकल का हाथ होता है और यह न्यूरोकैमिकल फिनाइल इथाइल अमीन है। यह कैमिकल अपने प्रेमी या प्रेमिका की खामियों को नजरअंदाज कर प्रेम में डूबी खुशियों का अहसास कराता है। ऐसे वक्त प्रेमी या प्रेमिका की छोटी-छोटी बातें भी दिल को दीवाना कर देती हैं। यहां तक कि अगर प्रेमी या प्रेमिका झूठ भी बोले तो भी यकीन नहीं होता।

मनोवैज्ञानिक का माने तो प्यार में भावनाओं और संवेदनाओं के साथ कुछ और चीजों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह है आंख। ‘नैन मटकबे तो जिया जलबे करी’ गीत प्रेम में आंख की महत्ता की एक रोमांचक मोड़ पर खड़ी कर देती है। प्यार आंख से शूरू होकर जीवन भर का बंधन बन जाता है। आंखों का प्यार आखिर जीवन भर का बंधन कैसे बन जाता है? शोध वैज्ञानिक कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति का आंखों का जादू नब्बे सेकेंड से चार मिनट में चल जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति के भावनाओं और इच्छाओं का आकलन कर लेता है। धीरे-धीरे दिल में उस व्यक्ति के लिए जगह में बन जाती है। प्यार का इजहार करने में सांसों की खुशबू का योगदान कम नहीं है। हर व्यक्ति में एक गंध पाई जाती है जो नाक के जरिए दिमाग तक पहुंचती है। दिमाग इस गंध को डीकोड करता है और उस विशेष व्यक्ति के जींस के बारे में पता करता है। इन जींस की बनावट को जानकर हमारा मस्तिक यह तय करता है कि वह व्यक्ति हमारा साथी बनने लायक है या नहीं। लिहाजा यदि आप सच्चे साथी की खोज में हैं तो अपनी के साथ-साथ नाक पर भी भरोसा कर सही निर्णय तक पहुंच सकते हैं। किसी भी व्यक्ति के प्रति आकर्षण का जादू चलते वक्त पचपन फीसद योगदान हावभाव, अड़तीस फीसद बातचीत, सात फीसद ज्ञानलुक और भाषा की होती है।

प्रो. आर्थर कहते हैं कि प्रेम में आपका आकर्षण होना बहुत महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि सौम्यता और बुद्धि। जाहिर है कि प्रेम सिर्फ प्रेम है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है। इसे किसी रिश्ते में नहीं बांधा जा सकता है। यह हमारे भीतर से आता है। मालूम नहीं होता... जाने कैसे, कब, कहां, इकरार हो जाता है, हम सोचते ही रह जाते हैं और प्यार हो जाता है।

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