Thursday, 11 December 2008

लश्कर-ए-तैयबा पर है नज़र

इन दिनों मुंबई धमाकों के लिए एक शक की सूई पाकिस्तान परस्त लश्कर-ए-तैयबा और इससे जुड़े भारत में सक्रीय सिमी पर है। हमारी नज़र है इसके नेटवर्क पर।

लश्कर-ए-तैयबा का नींव 1990 में अफगानिस्तान के कुनार सूबे रखा गया। यह पाकिस्तानी अहले हदीस के मरकज-उल-दवा-वल इरशाद यानी एमडीआई का फौजी दस्ता कहा गया। एमडीआई के प्रमुख प्रो. हफीज मोहम्मद सईद ही लश्कर-ए-तैयबा के अमीर है। 1993 में जम्मू-कश्मीर में पहली बार इसकी मौजूदगी रही। साथ ही पुंछ में इस्लामी इंकलाबी महाज के साथ गतिविधियां देखी गई।

इस संगठन का सीधे तौर पर मकसद है:
जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करना। पूरे भारत में इस्लामी राज्य कायम करना।

इसके ढांचे पर नज़र :
लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय लाहौर के मुरीदके में एमडीआई परिसर है। एक सूचना के मुताबिक फिलहाल पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में मुख्यालय है। मौलाना अब्दुल वहीद कश्मीरी प्रांत क प्रमुख है। इसके सुप्रीम कमांडर जकी उर रहमान नकवी भी जम्मू कश्मीर में ही है। इसका काम मुख्यतौर से जिला स्तर पर होता है। इस काम में इसके जिला कमांडरों के द्वारा मदद की जाती है। सबूत तो यह भी है कि इस संगठन के अलग-अलग प्रशिक्षण शिविर और शाखाएं पाकिस्तान में ही है। इसमें भर्ती और पैसा जूटाने का काम भी इसी क्षेत्र से होता है।

इसके ऑपरेशन पर एक नज़र:
पहले कश्मीर के घाटी में खासा सक्रीय रहे, फिर जम्मू और धीरे-धीरे देश के अंदर के नकसलवादियों और उग्रवादियों के संपर्क गांठ लिया। अब पूरा देश में मुस्लिम बहुल इलाकों में निवास कर रहे हैं। खासतौर से छोटे-छोटे कस्बों और गांवों में रहना पसंद करते हैं।
अभी तक इसके निशाने पर विशेषतौर पर सुरक्षा बल होते हैं। ये गैर मुस्लिम आबादी का नरसंहार करना खासा पसंद करते हैं। ये सुरक्षा बल के वर्दी में करते हैं फियादीन हमले और खून-खराबा। गिरफ्तरी नहीं मुठभेड़ में मरना है इन्हें पसंद। भारत के अंदर हिज्ब, जैश और सिमी बड़े ऑपरेशन में मददगार होते हैं। इनको इशारा करने वाला और कोई नहीं पाकिस्तान का खुफिया एजेंसी आईएसआई है। इसी के इशारे पर सारा आतंकवादी कार्रवाई भारत के अंदर होते रहा है। यह सिलसिला आजादी के बाद ही शुरू हुआ था। जो अब भारत के द्वारा ठोस कार्रवाई के बाद ही शायद खत्म हो सकता है। इस संगठन का नेटवर्क दुनियाभर के आतंकवादी संगठन और अल-कायदा से भी बताया गया है।

लश्कर के बड़े हमले पर एक नज़र:
  • 22 मार्च, 1997 संग्रामपुरा के कश्मीरी पंडित- 7 मरे
  • जनवरी 1998 वनधामा के कश्मीरी पंडित-24 मरे
  • 22 दिसंबर, 2000 लाल किला तीन मरे(जिनमें एक आतंकी था)
  • 1 अक्टूबर, 2001 श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर विधानसभा-27 मरे
  • 13 दिसंबर, 2001 संसद पर हमला 12 मरे (जिनमें पांच आतंकी थे)
  • 21 मई, 2002 हुर्रियत नेता अब्दुल गनी लोन की हत्या
  • 13 जुलाई, 2003 श्रीनगर के कासिम नगर बाजार-27 मरे
  • 20 जूलाई, 2005 श्रीनगर कार बम धमाका- 4 सैनिक
  • 18 अक्टूबर, 2005 तब से राज्य शिक्षा मंत्री अब्दुल नबी लोन की हत्या
  • 3 मई, 2006 डोडा और ऊधमपूर के हिंदू- 35 मरे
  • 1 जून, 2006 नागपुर में संघ मुख्यालय पर हमले की कोशिश

अंतत: 26 अक्टूबर, 2001 को लश्कर-ए-तैयबा पर प्रितिबंध लगया गया।

दूसरी नज़र में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी)

  • 25 अप्रैल, 1977 को अलीगढ़ में पड़ी बुनियाद
  • संस्थापक मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दीकी, प्रोफेसर, वेस्टर्न इलिनॉएस यूनिवर्सिटी, इलिनॉएस
  • जमात-ए-इस्लामी हिंद की शाखा

मकसद

  • इस्लाम के लिए जेहाद
  • संविधान की आलोचना
  • इस्लामी राज्य का सपना
  • बुत परस्ती और गैर-मुसलमानों के खिलाफ
  • संगठन के मुताबिक अल-कायदा और ओसामा बिन-लादेन मुजाहिदों की बेहतरीन मिसाल

नेतृत्व

  • सफदर नागौरी के नेतृत्व में काम हो रहा है

रिश्ते

  • पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल की जमात-ए-इस्लामी
  • हिज्बुल मुजाहिदीन
  • आईएसआई
  • जैश-ए-मोहम्मद
  • लश्कर-ए-तैयबा

आधार

  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और प. बंगाल

सदस्य

  • 400 कैडर
  • 20,000 साधारण सदस्य
  • 30 साल तक की उम्र के छात्र बन सकते हैं सदस्य

हमले

सीधे तौर से हमला नहीं, दूसरे संगठनों को दी जाती है मदद।

प्रतिबंध

27 सितंबर, 2001

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